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"असम्भव / रमानाथ अवस्थी" के अवतरणों में अंतर

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ऐसा कहीं होता नहीं
 
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ऐसा कभी होगा नहीं ।
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धरती जले बरसे न घन,
 
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सुलगे चिता झुलसे न तन ।
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सुलगे चिता झुलसे न तन।
औ ज़िंदगी में हों न ग़म ।
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औ ज़िंदगी में हों न ग़म।
  
 
ऐसा कभी होगा नहीं
 
ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं ।
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ऐसा कभी होता नहीं।
  
 
हर नींद हो सपनों भरी,
 
हर नींद हो सपनों भरी,
 
डूबे न यौवन की तरी,
 
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हरदम जिए हर आदमी,
 
हरदम जिए हर आदमी,
उसमें न हो कोई कमी ।
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उसमें न हो कोई कमी।
  
 
ऐसा कभी होगा नहीं,
 
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ऐसा कभी होता नहीं ।
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ऐसा कभी होता नहीं।
  
 
सूरज सुबह आए नहीं,
 
सूरज सुबह आए नहीं,
औ शाम को जाए नहीं ।
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तट को न दे चुम्बन लहर
 
तट को न दे चुम्बन लहर
औ मृत्यु को मिल जाए स्वर ।
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औ मृत्यु को मिल जाए स्वर।
  
 
ऐसा कभी होगा नहीं
 
ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं ।
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ऐसा कभी होता नहीं।
  
 
दुख के बिना जीवन कटे,
 
दुख के बिना जीवन कटे,
सुख से किसी का मन हटे ।
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सुख से किसी का मन हटे।
 
पर्वत गिरे टूटे न कन,
 
पर्वत गिरे टूटे न कन,
औ प्यार बिन जी जाए मन ।
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औ प्यार बिन जी जाए मन।
  
 
ऐसा कभी होगा नहीं
 
ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं ।
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ऐसा कभी होता नहीं।
 
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10:24, 7 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

ऐसा कहीं होता नहीं
ऐसा कभी होगा नहीं।

धरती जले बरसे न घन,
सुलगे चिता झुलसे न तन।
औ ज़िंदगी में हों न ग़म।

ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं।

हर नींद हो सपनों भरी,
डूबे न यौवन की तरी,
हरदम जिए हर आदमी,
उसमें न हो कोई कमी।

ऐसा कभी होगा नहीं,
ऐसा कभी होता नहीं।

सूरज सुबह आए नहीं,
औ शाम को जाए नहीं।
तट को न दे चुम्बन लहर
औ मृत्यु को मिल जाए स्वर।

ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं।

दुख के बिना जीवन कटे,
सुख से किसी का मन हटे।
पर्वत गिरे टूटे न कन,
औ प्यार बिन जी जाए मन।

ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं।