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पीने की देर है न पिलाने की देर है / गुलाब खंडेलवाल
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,
20:53, 1 जुलाई 2011
प्याला हमारे हाथ में आने की देर है
हैं
सैंकडों
सैकड़ों
सवाल,
हजारों
हज़ारों
शिकायतें
होली पे उनको सामने पाने की देर है
बेहोश हो के होश में आने की देर है
दम भर में बदल जायगी रंगत तेरी,
गुलाबी
गुलाब
!
उनके ज़रा निगाह उठाने की देर है
<poem>
Vibhajhalani
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