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पलट के देखा जो तुमने लजीली आँखों से
लगा की फिरसे कि फिर से मुझे ज़िन्दगी पुकार गयी
घिरी घटा मेरी आँखों से होड़ लेती हुई
बड़ी ही शान से आई थी, तार-तार गयी
जहाँ-जहाँ थी, कसम क़सम प्यार की खाई तुमने
वहीं-वहीं पे नज़र मेरी बार-बार गयी
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