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हम उनको अपना बना लें, कभी वो खेल तो हो / गुलाब खंडेलवाल
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22:36, 3 जुलाई 2011
नए-पुराने में थोड़ा-सा तालमेल तो हो
झकोरे
तेज
तेज़
हवाओं के हैं सर-आँखों पर
गले गुलाब के नाजुक-सी एक बेल तो हो
<poem>
Vibhajhalani
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