गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
ज़िन्दगी को यों ही भरमाया किये / गुलाब खंडेलवाल
No change in size
,
20:25, 6 जुलाई 2011
बेकली को दिल की समझाया किये
एक ही शीशे का दिल था, जिसको
हम
ले
लेके हर
हम हरेक
पत्थर से टकराया किये
सर झुका लेते हैं अब कुछ सोचकर
Vibhajhalani
2,913
edits