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शहर जंगल / अरविन्द श्रीवास्तव
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,
09:07, 26 जुलाई 2011
उसके जिस्म पर चोट के और
नीचे पत्थर पर
खून
ख़ून
के
ताजे
ताज़े
निशान हैं
उसने गुत्थमगुत्थी-सा प्रयास छोड़ दिया है
उसकी आँखें आँसू से लबालब हैं
योगेंद्र कृष्णा
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