भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई
क्या सानेहा<ref>्घटनाघटना</ref> याद आया ‘रज़्मी’ की तबाही का
क्यूँ आप की नाज़ुक सी आँखों में नमी आई
</poem>
{{KKMeaning}}