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करम गति टारै / कबीर

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सीता हरन मरन दसरथ को बनमें बिपति परी॥ १॥
कहॅं कहँ वह फन्द कहॉं कहाँ वह पारधि कहॅं वह मिरग चरी।
कोटि गाय नित पुन्य करत नृग गिरगिट-जोन परि॥ २॥
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