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मिली नौकरी चूहेजी चूहे जी को,
बस के कंडेक्टर की|
लगे समझने बस को जैसे,
पूछा लोगों ने भैयाजी
कैसी बेई मानी|
सरकारी पैसे से क्यों ये ,करते छेड़ाखानी|
बोला...टिकिट बनाता तो हूं,
तुम तक पहुंच न पाते|
कागज़ खाने की आदत से,
टिकिट हमीं खा जाते|
उत्तर सुन ,लोगों ने पूछा,
नोट क्यों नहीं खाये|
लिये टिकिट के रुपये हैं तो,
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