Changes

लौटा भी लाते
मीठे लफ्जों लफ़्ज़ों मे गूँथी कहानियाँ
जब, निगल जाती थी आँखें
शहजादों शहज़ादों परियों की कहानियाँ
स्वप्निल आसमान
लोबान सी महकती ज़मी
आँखें आँखों से कतराने लगी हैं
आँखें उगल देना चाहती हैं एक समंदर
क़िस्से, कहानियाँ, लफ्ज लफ्ज़ सारे
वो दिन
लौटा भी लाते.
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits