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[[Category:ग़ज़ल]]
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 बन्दा -नवाज़ियों पे ख़ुदा-ए-करीम था
करता न मैं गुनाह तो गुनाह-ए-अज़ीम था
वल्लाह क्या नसीब जनाब-ए-कलीम था
दुनिया का हाल अहल-ए-अदम है ये मुख़तसर मुख़्तसरइक दो क़दम का कूचाकूच-ए-उम्मिदउम्मीद-ओ-बीम था
करता मैं दर्दमन्द तबीबों से क्या रजू
जिस ने दिया था दर्द बड़ा वो हकीम हक़ीम था
समाँ-ए-उफ़्व क्या मैं कहूँ मुख़तसर मुख़्तसर है ये
बन्दा गुनाहगार था ख़ालिक़ करीम था
जिस दिन से मैं चमन में हुआ ख़्ह्वाहख़्वाहे-ए-गुल 'आमीर'
नाम-ए-सबा कहीं न निशान-ए-नसीम था