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हाइकु / कमलेश भट्ट 'कमल'

7 bytes removed, 13:42, 9 जून 2010
एक भी बूँद ।
तरस गये पहचान को खुद सावन-भादौ में।
कहो तो सही मन प्राणो से तुम वक्त सुनेगा,