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साँचा:KKEkMoti

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कैसे आकाश में सुराख़ नहीं हो सकताक्षुद्र घंटिका कटि-तट सोभित,नूपुर शब्द रसाल।<br>एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो ।मीरा प्रभु संतन सुखदाई, भक्त बछल गोपाल।।
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कविता कोश में [[दुष्यंत कुमारमीराबाई]]
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