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"करोगी तुम प्यार/ प्रदीप मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: <poem> '''करोगी तुम प्यार''' पेड़ पौधों से करोगी तुम प्यार वे विफल कर दें…)
 
 
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पेड़ पौधों से
 
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करोगी तुम प्यार
 
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वे भविष्य की भयावहता से
 
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घबराएंगे नहीं
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घबराएँगे नहीं
  
 
समन्दर से  
 
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22:48, 13 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण

पेड़ पौधों से
करोगी तुम प्यार
वे विफल कर देंगे
प्रदूषण का षडयन्त्र

घर से
करोगी तुम प्यार
भूल कर अपने सारे दुःख
खुशहाल हो जाएगा घर

बच्चों से
करोगी तुम प्यार
वे भविष्य की भयावहता से
घबराएँगे नहीं

समन्दर से
करोगी तुम प्यार
मीठा लगने लगेगा उसका पानी

मुझसे
करोगी तुम प्यार
मैं फैलकर व्योम हो जाऊँगा ।