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"सब जैसा का तैसा / कैलाश गौतम" के अवतरणों में अंतर
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सब कुछ पूछो, यह मत पूछो | सब कुछ पूछो, यह मत पूछो | ||
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क्या सचिवालय क्या न्यायालय | क्या सचिवालय क्या न्यायालय | ||
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बाबू बड़ा न भैय्या प्यारे | बाबू बड़ा न भैय्या प्यारे | ||
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सबसे बड़ा रुपैया है | सबसे बड़ा रुपैया है | ||
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मंत्री के पी. ए. का नक्शा | मंत्री के पी. ए. का नक्शा | ||
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मंत्री से भी हाई है | मंत्री से भी हाई है | ||
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बिना कमीशन काम न होता | बिना कमीशन काम न होता | ||
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उसकी यही कमाई है | उसकी यही कमाई है | ||
+ | रुक जाता है, कहकर फ़ौरन | ||
+ | `देखो भाई ऐसा है' । | ||
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हैं अपराधी जेलों में | हैं अपराधी जेलों में | ||
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खेल दिखाते मेलों में | खेल दिखाते मेलों में | ||
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− | इन पर चढ़ता पैसा | + |
13:58, 4 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
कुछ भी बदला नहीं फलाने !
सब जैसा का तैसा है
सब कुछ पूछो, यह मत पूछो
आम आदमी कैसा है ?
क्या सचिवालय क्या न्यायालय
सबका वही रवैया है
बाबू बड़ा न भैय्या प्यारे
सबसे बड़ा रुपैया है
पब्लिक जैसे हरी फ़सल है
शासन भूखा भैंसा है ।
मंत्री के पी. ए. का नक्शा
मंत्री से भी हाई है
बिना कमीशन काम न होता
उसकी यही कमाई है
रुक जाता है, कहकर फ़ौरन
`देखो भाई ऐसा है' ।
मन माफ़िक सुविधाएँ पाते
हैं अपराधी जेलों में
काग़ज़ पर जेलों में रहते
खेल दिखाते मेलों में
जैसे रोज़ चढ़ावा चढ़ता
इन पर चढ़ता पैसा है ।