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21:56, 6 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
चित्रकार जगदीश स्वामीनाथन के प्रति स्नेह और श्रद्धा के साथ
जितनी रंगीन चिड़ियाँ थीं मुझमें
सब उड़ गईं
जाने किन तरुओं गिरि-शिखरों से
जुड़ गईं
सूना नहीं हूँ मैं फिर भी ओ चितेरे,
राग बन कर के
सच मुझ में ही निचुड़ गईं |