भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दिन अच्छा है / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …) |
छो ("दिन अच्छा है / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
09:29, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
दिन अच्छा है
नटी नदी के दृढ़ नितम्ब की तरह खुला है,
पानी जिसको परस रहा है मधुर चाव से
उस नितम्ब को खुले दिवस को जी भर देखो
दिन अच्छा है
बीच खेत में बड़े साँड़ की तरह खड़ा है
गाएँ जिसको निरख रही हैं, मुग्ध भाव से
उस मनचीते वृषभ दिवस को जी भर देखो
रचनाकाल: ०९-०१-१९६१