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तुम्हें बधाई
देश तुम्हारे साथ चला
नई दिशा का
नई दृष्टि का
अनबुझ अगिन जलाए दिल में
दीन दुखी के लिए दहकता
साथी-राही सूरज निकला
महाकार तम-तोम जला
रचनाकाल: २५-०६-१९७२, मद्रास