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लिखना / अशोक भाटिया
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16:23, 11 जनवरी 2011
उग आएँ हर ज़मीन में
पनप आएँ रेगिस्तानों में भी
और खींच लाएँ
पानियों
पानी
को
लिखना आख़िर
पानी तक पहुँचना है ।
</poem>
अनिल जनविजय
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