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"तापित सूरज / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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11:45, 14 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
तीन दिनों से तपित सूरज बहक रहा है रोज-ब-रोज
दहके आवर्तों में दक्षिण दहक रहा है रोज-ब-रोज
म्लान हुआ मदरासी मुखड़ा, पंखुरियों का रोज-ब-रोज
सुना नहीं जाता है दुखड़ा जलपरियों का रोज-ब-रोज
रचनाकाल: ०५-०५-१९७६, मद्रास