भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हवाएँ नहीं डरतीं / चन्द्र प्रकाश श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्र प्रकाश श्रीवास्तव |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> प्…)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:16, 14 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

प्रेम-पत्र लिखने वाले को
सूली पर चढ़ा दो
प्रेम-गीत गाने वाले को
तुम चाहे ज़िंदा जला दो
समस्त पाण्डुलिपियाँ महासागर में डुबो दो
फिर भी रोक नहीं पाओगे तुम
गतिमान शब्दध्वनियों को
गमकती हवाओं को

हवाएँ नहीं डरतीं आतताई संगीनों से
धुवाँ-धुवाँ बन जाएँगे शब्द
लिपियाँ तैरेंगी
महासागर की लहरों पर
उड़ेंगे श्वेत कबूतर
क्षितिज के इस छोर से उस छोर तक