<poem>सब कुछ{{KKRachnaइसी मौसम में हो जाएगा!|रचनाकार=मंगत बादलहमारे देखते-देखते}}कुछ लोग कबूतरों को चुग्गा डालने आएंगे,{{KKPustakशान्ति, समझौतों की बातें करते हुए |चित्र=उनका एक हाथ |नाम=जेब में रखे चाकू पर होगा |रचनाकार=[[मंगत बादल]]और उनका सिर्फ इशारा भर होगा |प्रकाशक= कि उनके प्रशिक्षित बाज|वर्ष= हम पर झपट पड़ेंगे!|भाषा= हिंदीकपड़ो की तरह बदलते हुए|विषय= कविताएँहवा का रुख |शैली= छंद मुक्त जब वे अपनी और|पृष्ठ= कर लेंगे,|ISBN= तो हमारी यादाशत खो जाएगी!|विविध= अपना काम निकालना }}उन्हें आता हैतजुर्बेकार हैंजब जरुरत होगी उनकी अंगुली अपने आप टेढ़ी हो जाएगी!* [[इस मौसम में(शीर्षक कविता) / मंगत बादल]]जब वे परिवर्तन का नारा उछालते हैं हमें जान लेना चाहिए कि वे अपनी सुरक्षा का घेराऔर मजबूत कर रहे हैं!तथा भीतर ही भीतरकिसी अनचाही स्थिति सेदर रहे हैं* [[ / मंगत बादल]]<* [[ /poem>मंगत बादल]]