भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इंतहा / रतन सिंह ढिल्लों" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रतन सिंह ढिल्लों |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> इंतहा के आग…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:11, 17 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
इंतहा के आगे
और इंतहा
मुझे इतना ना सता
मुझे और न रुला
तू पहले भी थी बे-वफ़ा
तू आज भी है बे-वफ़ा
मुझे मिल गई है मुहब्बत की सज़ा ।
मूल पंजाबी से अनुवाद : अर्जुन निराला