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"ईश्वर के बारे में / नील कमल" के अवतरणों में अंतर

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11:20, 22 जनवरी 2011 का अवतरण

मन की बातें
जुबान तक आएँ, इससे पहले ही
पूरी हो जाया करती थीं इच्छाएँ
मैंने जाना, ईश्वर का नाम पिता है

एक डिठौना
लगाया उसने, माथे पर
और दूर रहीं सारी विपदाएँ
मैंने जाना, ईश्वर दोस्त है

जबकि बीमार था मैं
तकलीफ़ों से ज़ार ज़ार
एक बच्चे ने, तुरन्त खोल दी
अपने खिलौनों की पेटी
निकाले कितने ही औज़ार चमकीले
एक आला रख दिया सीने पर
पेट पर छुरी-कैंची
मरहम-पट्टी दुरुस्त
बड़ी मासूमियत से कहा उसने
अब तुम बिलकुल ठीक हो

हे ईश्वर ! तुम तो रहो अब अपने स्वर्ग में
तुम्हारा यहाँ कोई काम नहीं ।