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"गुंजन ला / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर
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अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल }} {{KKCatKavita}} <poem> तेरा मन मेरा ह…) |
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कोंपल ला, हरी पत्तियाँ ला, कोमल-कोमल पत्तों को ला, | कोंपल ला, हरी पत्तियाँ ला, कोमल-कोमल पत्तों को ला, | ||
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21:18, 23 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
तेरा मन मेरा हो जाए, मेरा मन तेरा हो जाए,
मैं तेरे मन की बात सुनूँ, तू मेरे मन की सुन पाए !
खो जाएँ दुखों के अंधड़ में, जब हम विपरीत दिशाओं में,
मैं तुझे ढूँढ़ता लौटूँ तब, तू मुझे ढूँढ़ती फिर आए !
मेरी अपूर्णता को तेरी, मंगलमय शोभा पूर्न करे,
मेरे जीवन के घट तेरी आँखों की निर्मल कांति भरे !
मेरी चाहों के सागर पर, तू मौन चाँदनी बन फैले,
मेरी आशा के हिमगिरी पर, तू सूर्य किरण बन बिखरे !
मैं राह देखता हूँ तेरी, मुझको शुचि आकर तू कर जा,
जीवन की सूनी डाली को, तू नूतन शोभा से भर जा !
कोंपल ला, हरी पत्तियाँ ला, कोमल-कोमल पत्तों को ला,
गुँजन ला मेरे जीवन में, ओ सुरभित साँसों वाली ! आ !