{{KKRachna
|रचनाकार=गोरख पाण्डेय
|संग्रह=स्वर्ग से बिदाई भोजपुरी के नौ गीत / गोरख पाण्डेय
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पहिले-पहिल जब वोट मांगे अइले<br>तोह्के खेतवा दिअइबो<br>ओमें फसली उगइबो ।<br>बजडा के रोटिया देई -देई नुनवा<br>सोचलीं कि अब त बदली कनुनवा।<br>कनुनवा ।अब जमीनदरवा के पनही न सहबो,<br>अब ना अकारथ बहे पाई खूनवा।<br><br>खूनवा ।
दुसरे चुनउवा में जब उपरैलें त बोले लगले ना<br>तोहके कुँइयाँ खोनइबो<br>सब पियसिया मेटैबो<br>ईहवा से उड़ी- उड़ी ऊंहा जब गैलें<br>सोंचलीं ईहवा के बतिया भुलैले<br>हमनी के धीरे से जो मनवा परैलीं<br>जोर से कनुनिया-कनुनिया चिलैंले ।<br><br>
तीसरे चुनउवा में चेहरा देखवलें त बोले लगले ना<br>तोहके महल उठैबो<br>ओमें बिजुरी लागैबों<br>चमकल बिजुरी त गोसैयां दुअरिया<br>हमरी झोपडिया मे घहरे अन्हरिया<br>सोंचलीं कि अब तक जेके चुनलीं<br>हमके बनावे सब काठ के पुतरिया ।<br><br>
अबकी टपकिहें त कहबों कि देख तूं बहुत कइलना<br>तोहके अब ना थकईबो<br>अपने हथवा उठईबो<br>हथवा में हमरे फसलिया भरल बा<br>हथवा में हमरे लहरिया भरलि बा<br>एही हथवा से रुस औरी चीन देश में<br>लूट के किलन पर बिजुरिया गिरल बा ।<br>जब हम ईंहवो के किलवा ढहैबो त एही हाथें ना<br>तोहके मटिया मिलैबों<br>ललका झंडा फहरैबों<br>त एही हाथें ना<br>
पहिले-पहिल जब वोट मांगे अइले ....
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