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"जंगे आज़ादी / मख़दूम मोहिउद्दीन" के अवतरणों में अंतर

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20:38, 30 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

ये जंग है जंगे आज़ादी
आज़ादी के परचम के तले ।

हम हिन्द के रहने वालों की, महकूमों<ref>दासों</ref> की मजबूरों की
आज़ादी के मतवालों की दहक़ानों<ref>किसान</ref> की मज़दूरों की

ये जंग है जंगे आज़ादी
आज़ादी के परचम के तले ।

सारा संसार हमारा है, पूरब पच्छिम उत्तर दक्कन
हम अफ़रंगी हम अमरीकी हम चीनी जांबाज़ाने वतन
हम सुर्ख़ सिपाही जुल्म शिकन,<ref>जुल्मों के ख़िलाफ़ लड़ने वाले</ref> आहनपैकर<ref>लोहे के शरीर वाले</ref> फ़ौलादबदन<ref>इस्पाती शरीर वाले</ref> ।

ये जंग है जंगे आज़ादी
आज़ादी के परचम के तले ।

वो जंग ही क्या वो अमन ही क्या दुश्मन जिसमें ताराज न हो
वो दुनिया दुनिया क्या होगी जिस दुनिया में स्वराज न हो
वो आज़ादी आज़ादी क्या मज़दूर का जिसमें राज न हो ।

ये जंग है जंगे आज़ादी
आज़ादी के परचम के तले ।

लो सुर्ख़ सवेरा आता है, आज़ादी का आज़ादी का
गुलनार तराना गाता है, आज़ादी का आज़ादी का
देखो परचम लहराता है, आज़ादी का आज़ादी का ।

ये जंग है जंगे आज़ादी
आज़ादी के परचम के तले ।

शब्दार्थ
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