भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पैसे / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: मंगलेश डबराल Category:कविताएँ Category:मंगलेश डबराल ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | रचनाकार | + | {{KKRachna |
− | + | |रचनाकार=मंगलेश डबराल | |
− | + | |संग्रह=हम जो देखते हैं / मंगलेश डबराल | |
+ | }} | ||
− | |||
22:40, 29 दिसम्बर 2007 के समय का अवतरण
मैंने कहा जाओ
मेरी जेब के बचे -खुचे पैसो
बाहर निकलो
कोई रास्ता खोजो जाने का
पसीने के छेदों से
या मेरी आत्मा में से ही बाहर निकलो
तुम्हें मैंने काफ़ी मेहनत से कमाया था
जाओ ख़र्च हो जाओ
मेरी मेहनत भी इसी तरह
होती रही है ख़र्च
(1991 में रचित)