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यही, हाँ, यही / अज्ञेय
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11:42, 3 फ़रवरी 2011
उस मेरी मधु-मद-भरी
रात की निशानी :
एअक
एक
यह ठीकरे हुआ प्याला
कहता है-
जिसे चाहो तो मान लो कहानी ।
और दे भी क्या सकता
हू~म
हूँ
हवाला
उस रात का :
या प्रमाण अपनी बात का ?
अनिल जनविजय
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