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"कल्पना जल्पना / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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राम नाम लो
 
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अल्लाह को मारो
 
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इस तरह अपना काज सँवारो
 
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एक जाति हो, एक नस्ल हो
 
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बाकी सबको फेंक बुहारो
 
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हिन्दू राष्ट्र की कल्पना है
 
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न रहें ईसाई
 
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न पारसी भाई
 
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यहूदी से भी न कोई मिताई
 
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इन सबसे भला अपना क्या नाता
 
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ये सब हैं हिन्दू का काँटा
 
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रक्त सनी एक अल्पना है
 
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सिर्फ़ हिन्दू हों
 
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जाति है देसी
 
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बाकी धर्मों के लोग विदेशी
 
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मारो-मारो मार भगाओ
 
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भारत में भगवा फहराओ
 
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उनकी बस यही जल्पना है
 
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हिन्दू राष्ट्र की कल्पना है
 
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(रचनाकाल: 2002)
 
(रचनाकाल: 2002)
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12:24, 8 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

राम नाम लो
अल्लाह को मारो
इस तरह अपना काज सँवारो
एक जाति हो, एक नस्ल हो
बाकी सबको फेंक बुहारो
हिन्दू राष्ट्र की कल्पना है

न रहें ईसाई
न पारसी भाई
यहूदी से भी न कोई मिताई
इन सबसे भला अपना क्या नाता
ये सब हैं हिन्दू का काँटा
रक्त सनी एक अल्पना है

सिर्फ़ हिन्दू हों
जाति है देसी
बाकी धर्मों के लोग विदेशी
मारो-मारो मार भगाओ
भारत में भगवा फहराओ
उनकी बस यही जल्पना है
हिन्दू राष्ट्र की कल्पना है

(रचनाकाल: 2002)