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"याज्ञवल्क्य से बहस (कविता) / सुमन केशरी" के अवतरणों में अंतर

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12:38, 28 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

1.
उसकी छुअन भर से
बदल गई मैं घास में
बार-बार उगने और हरियाने को

2.
उसकी याद
ध्रुवतारा
वयस्तताओं के महाजंगल में
घोर उपेक्षाओं के सागर में
निर्मम व्यंग्यों औऱ कटाक्षों से तपते
मरुस्थल में
राह दिखाती
आँखों में मुस्काती....

3.
सूरज की रोशनी-सा तुम्हारा प्यार
और मैं कमल
शतदल
स्वर्णिम आभा से भर उठता है मन
और गूँज जाता है
अनहद नाद ।