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"धार / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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कौन बचा है जिसके आगे
 
कौन बचा है जिसके आगे

18:08, 19 मई 2008 का अवतरण

कौन बचा है जिसके आगे

इन हाथों को नहीं पसारा


यह अनाज जो बदल रक्त में

टहल रहा है तन के कोने-कोने

यह कमीज़ जो ढाल बनी है

बारिश सरदी लू में

सब उधार का, माँगा चाहा

नमक-तेल, हींग-हल्दी तक

सब कर्जे का

यह शरीर भी उनका बंधक


अपना क्या है इस जीवन में

सब तो लिया उधार

सारा लोहा उन लोगों का

अपनी केवल धार ।