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मेहंदी-सुर्खी | मेहंदी-सुर्खी |
20:49, 8 मार्च 2011 के समय का अवतरण
मेहंदी-सुर्खी
काजल लिखना
महका-महका
आँचल लिखना!
धूप-धूप
रिश्तों के
जंगल
ख़त्म नहीं
होते हैं
मरुथल
जलते मन पर
बादल लिखना!
इंतज़ार के
बिखरे
काँटे
काँटे नहीं
कटे
सन्नाटे
वंशी लिखना
मादल लिखना!