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+ | चंद्रबरदाई की एक कविता का अंश है यह, चाहें तो काव्य-कोश में फ़िलहाल इसे ही जोड़ सकते हैं । | ||
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+ | पूरब दिसी गढ़ गढ़्नपति,समुद्र सिषर अति दुग्ग | ||
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+ | तहं सुर विजय सुर-राजपति,जादू कुलह अभग्ग | ||
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+ | हसम ह्य्ग्ग्य देई अति, पति सायर भ्रज्जाद | ||
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+ | प्रबल भूप सेवहिं सकल,धुनि निसान बहु साद |
22:47, 31 मई 2007 का अवतरण
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चंद्रबरदाई की एक कविता का अंश है यह, चाहें तो काव्य-कोश में फ़िलहाल इसे ही जोड़ सकते हैं ।
पूरब दिसी गढ़ गढ़्नपति,समुद्र सिषर अति दुग्ग
तहं सुर विजय सुर-राजपति,जादू कुलह अभग्ग
हसम ह्य्ग्ग्य देई अति, पति सायर भ्रज्जाद
प्रबल भूप सेवहिं सकल,धुनि निसान बहु साद