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सचमुच विश्वजीत
 
सचमुच विश्वजीत

13:52, 25 अप्रैल 2008 का अवतरण

सचमुच विश्वजीत

मुझे तुम्हारा यह ऎश ट्रे बहुत पसन्द है

बिल्कुल पापी के फूल की तरह

खिल रहा है तुम्हारे टेबुल पर

सचमुच


कल न्यूट्रन बम गिरेगा

हम तुम सब मर जाएँगे

सब कुछ नष्ट हो जाएगा

फिर भी इस टेबुल पर इसी तरह चमकता रहेगा

शान से यह ऎश ट्रे


आज मुझे

इस ऎश ट्रे से ईर्ष्या हो रही है

मुझे ईर्ष्या हो रही है ।