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"सिख मानो हमारि (होली मतवाला) / आर्त" के अवतरणों में अंतर

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नाहि त सब बिन मौत मरेंगे, कि जग में न अयश कमाओ
 
नाहि त सब बिन मौत मरेंगे, कि जग में न अयश कमाओ
 
प्रभु महिमा बिसारि, जग में न अयश कमाओ ।।
 
प्रभु महिमा बिसारि, जग में न अयश कमाओ ।।
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'''इस गीत को गाने की विधा ’यू ट्यूब’ पर चलचित्रों के माध्‍यम से देखी व सीखी जा सकती है  । उत्‍सुक बन्‍धु  ’यू ट्यूब’ पर जाकर इसके नाम से खोज करें ।'''
 
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12:24, 18 मार्च 2011 के समय का अवतरण

सिख मानो हमारि, रावण न मन बउराओ ।।
जग जननी कै हरण करि लायौ
परनारी पै कु‍दृष्टि लगायौ
बीस नयन, तुम कस अंधरायौ, कि सहजै न बंश नशाओ
करि भगवन से रारि, सहजै न बंश नशाओ ।।

‘आर्त’ बनो प्रभु माफ करेंगे
चरण गहो सब कष्‍ट हरेंगे
नाहि त सब बिन मौत मरेंगे, कि जग में न अयश कमाओ
प्रभु महिमा बिसारि, जग में न अयश कमाओ ।।

इस गीत को गाने की विधा ’यू ट्यूब’ पर चलचित्रों के माध्‍यम से देखी व सीखी जा सकती है । उत्‍सुक बन्‍धु ’यू ट्यूब’ पर जाकर इसके नाम से खोज करें ।