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बीच गाँव से होकर... / ठाकुरप्रसाद सिंह
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19:06, 19 मार्च 2011
|संग्रह=वंशी और मादल / ठाकुरप्रसाद सिंह
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बीच गाँव से होकर जाने वाली लापरवाह
तुझे न शायद लग पाती अपने ही मन की थाह
किन्तु फूल जूड़े का मुस्काता है होकर पागल
आँचल किसको बुला रहा है हिला-हिलाकर बाँह ?
</poem>
अनिल जनविजय
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