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"नए साल का कार्ड / लीलाधर मंडलोई" के अवतरणों में अंतर

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कितना अजीब है यह कार्ड कि बोलता नहीं-‘सब खैरियत है’
 
कितना अजीब है यह कार्ड कि बोलता नहीं-‘सब खैरियत है’

02:06, 25 मार्च 2011 के समय का अवतरण

कितना अजीब है यह कार्ड कि बोलता नहीं-‘सब खैरियत है’
न केवल पेड़-पौधे
न केवल अरब सागर
गायब है धरती, अंतरिक्ष गायब
भाग रहे हैं तमाम पखेरू नये ठिकानों की फिक्र में
कोई ऐसी जगह नहीं
कि चिलकती हो माकूल जगह
सिर्फ गर्द है, धुआँ है, आग है और
और असंख्य छायाएँ छोड़तीं ठिकाने
वर्दियों से अटा कितना अजीब है यह कार्ड
कि बोलता नहीं-‘सब खैरियत है’