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सब अपनी-अपनी सुविधाओं की खोज में
नकली चहरे चेहरे पहने
मुस्कुराते-बतियाते
बोल समझ में नहीं आते थे
सिर झटक का कर इशारा देता था तबलची सम का
उन्हें मालूम था सिर वहीं हिलाना है
गायक क्या गा रहा है ख़याल या तराना
उन्हें चंद मशहूर संगीतज्ञों के नाम याद थे रविशंकर, परवीन सुल्ताना और वही जो अग्रेज़ी में भी गाता है हाँ--हरिहरन कितना व्यापक अध्ययन था उनके संगीतशास्त्र का !  एक-आध वेद और पुराण की बातें करते थे कुण्डलिनी जागरण और ध्यान ! उनका अभ्यास इतना तगड़ा था कि वे पांच-तारा-होटल की तेइसवीं मंज़िल की छत को अपने ध्यान से गिरा कर हथेली पर थाम लेने वाले थे विवाद करते थे वे संस्कृत के सही उच्चारण का विलायती-सी अंग्रेज़ी में  कोई नहीं था जो ज़ोर से चिल्लाता ख़त्म करो यह नाटक बहुत हो चुकी डींगें एक-एक सच्चाई मुझे मालूम है तुम्हारी कोई नहीं थी कड़कती तीखी सच आवाज़ क्या सब नशे में थे ? या खीजते हुए शब्दों के जाल बुन रहे थे मेरी तरह ?
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