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"मौत / शमशाद इलाही अंसारी" के अवतरणों में अंतर
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आओ- | आओ- |
01:54, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
आओ-
इसकी मौत के बाद खोजें,
कि यह कैसे मर गया?
इसे क्यों नहीं मिली रोटी?
इसे पैदा करने वाला
कितना था सक्षम?
इसके समक्ष जीवन
और परिस्थितियाँ
क्यों बन गई थीं चीन की अभेद्य दीवार?
यदि हम इसकी लाश को
मिट्टी में घुलते हुए
गौ़र से देखें
तो निश्चित ही
मिलेंगे इसमें कुछ अंगारे
कुछ प्रश्नों के मिलेंगे ठोस उत्तर।
कुछ जली हुई राख
आओ, इन प्रश्नों से दहकती
एक आग जलाएं
और इन प्रश्नों के उत्तरों को,
इन हत्याओं के प्रत्येक हत्यारे को
इसमें
झोंक दें।
रचनाकाल : 28.04.1989