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"खामोश मौत / राजीव रंजन प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
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<poem>वो जो तड़प भी नहीं पाते हैं | <poem>वो जो तड़प भी नहीं पाते हैं |
01:54, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
वो जो तड़प भी नहीं पाते हैं
उनसे क्या पूछते हो मौत क्या है,
तड़प कर जिनमें सह लेने का साहस आ जाता हो,
उनसे क्या पूछते हो मौत क्या है....
मेरी साँस लेती हुई लाश से पूछो
कि तड़पन की शिकन को दाँतों से दाब कर
मुस्कुरा कर
यह कह देना "जहाँ रहो खुश रहो"
फ़िर एक गहरी खामोश मौत मर जाना
कैसा होता है..
२८.०५.१९९७