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"कवितावली/ तुलसीदास / पृष्ठ 14" के अवतरणों में अंतर

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'''भाग-3 अरण्य काण्ड प्रारंभ'''
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20:08, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण


भाग-3 अरण्य काण्ड प्रारंभ

(मारीचानुधावन)


पंचबटीं बर पर्नकुटी तर बैठे हैं रामु सुभायँ सुहाए।


सोहै प्रिया, प्रिय बंधु लसै ‘तलसी’ सब अंग घने छबि छाए।।

 
देखि मृगा मृगनैनी कहे प्रिय बेैन, ते प्रीतमके मन भाए।


हेमकुरंगके संग सरासनु सायकु लै रघुनायकु धाए।।


(इति अरण्य काण्ड )