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"ओस के दिये / राजश्री" के अवतरणों में अंतर

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10:47, 8 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

पलकों की देहरी पर किसी ने
रख दिये ओस के दिये
पुतलियो के दरवाजे खुले
मनुहार के जुगनू झिलमिलाये

पलकों की देहरी पर किसी ने
रख दिये ओस के मोती
पुतलियों के दरवाजे खुले
सुधियों के हंस लहराये

पलकों की देहरी पर किसी ने
रख दी ओस की मंजरियाँ
पुतलियों के दरवाजें खुले
प्रीत के बसंत घिर आये

पलकों की देहरी पर किसी ने
छेड़ दी ओस की रागिनी
पुतलियों के दरवाजे खुले
उमंगों के पपीहे बौराये