भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"राम मैं पूजा कहा चढ़ाऊँ / रैदास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रैदास }} <poem> राम मैं पूजा कहा चढ़ाऊँ । फल अरु फूल अ...)
 
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=रैदास
 
|रचनाकार=रैदास
}} <poem>
+
}}{{KKCatKavita}}
 
+
{{KKAnthologyRam}} <poem>
 
राम मैं पूजा कहा चढ़ाऊँ ।
 
राम मैं पूजा कहा चढ़ाऊँ ।
 
फल अरु फूल अनूप न पाऊँ ॥टेक॥
 
फल अरु फूल अनूप न पाऊँ ॥टेक॥

20:03, 13 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

राम मैं पूजा कहा चढ़ाऊँ ।
फल अरु फूल अनूप न पाऊँ ॥टेक॥

थन तर दूध जो बछरू जुठारी ।
पुहुप भँवर जल मीन बिगारी ॥१॥

मलयागिर बेधियो भुअंगा ।
विष अमृत दोउ एक संगा ॥२॥

मन ही पूजा मन ही धूप ।
मन ही सेऊँ सहज सरूप ॥३॥

पूजा अरचा न जानूँ तेरी ।
कह रैदास कवन गति मोरी ॥४॥