"ॐ जय श्री श्याम हरे / आरती" के अवतरणों में अंतर
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<poem>ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे | | <poem>ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे | |
19:58, 18 अप्रैल 2011 का अवतरण
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे |
खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....
रत्न जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुले |
तन केशरिया बागों, कुण्डल श्रवण पडे ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....
गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे |
खेवत धूप अग्नि पर, दिपक ज्योती जले ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....
मोदक खीर चुरमा, सुवरण थाल भरें |
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....
झांझ कटोरा और घसियावल, शंख मृंदग धरे |
भक्त आरती गावे, जय जयकार करें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....
जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे |
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम श्याम उचरें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....
श्री श्याम बिहारी जी की आरती जो कोई नर गावे |
कहत मनोहर स्वामी मनवांछित फल पावें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे |
निज भक्तों के तुम ने पूर्ण काज करें ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे |
खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे....