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"पिता की याद / कुमार विश्वास" के अवतरणों में अंतर

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फिर पुराने नीम के नीचे खडा हूँ
 
फिर पुराने नीम के नीचे खडा हूँ

01:00, 19 अप्रैल 2011 का अवतरण

फिर पुराने नीम के नीचे खडा हूँ

फिर पिता की याद आई है मुझे

नीम सी यादें ह्रदय में चुप समेटे

चारपाई डाल आँगन बीच लेटे

सोचते हैं हित सदा उनके घरों का

दूर है जो एक बेटी चार बेटे

फिर कोई रख हाथ काँधे पर

कहीं यह पूछता है-

"क्यूँ अकेला हूँ भरी इस भीड मे"

मै रो पडा हूँ

फिर पिता की याद आई है मुझे

फिर पुराने नीम के नीचे खडा हूँ