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"जय गणेश देवा / आरती" के अवतरणों में अंतर

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   आरती का मुखपृष्ठ

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जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ।
माता जाकी पारवती पिता महादेवा ॥

एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी ।
पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा ॥

अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया ।
' सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ॥