Changes

एकांत श्रीवास्तव

1,285 bytes added, 21:29, 25 जून 2007
शुभ हो उन सबकी यात्राएँ भी
जिनका रास्ता किसी ने नहीं काटा।
 
लोहा
जंग लगा लोहा पांव में चुभता है
तो मैं टिटनेस का इंजेक्शन लगवाता हूँ
लोहे से बचने के लिए नहीं
उसके जंग के संक्रमण से बचने के लिए
मैं तो बचाकर रखना चाहता हूं
उस लोहे को जो मेरे खून में है
जीने के लिए इस संसार में
रोज़ लोहा लेना पड़ता है
एक लोहा रोटी के लिए लेना पड़ता है
दूसरा इज़्ज़त के साथ
उसे खाने के लिए
एक लोहा पुरखों के बीज को
बचाने के लिए लेना पड़ता है
दूसरा उसे उगाने के लिए
मिट्टी में, हवा में, पानी में
पालक में और खून में जो लोहा है
यही सारा लोहा काम आता है एक दिन
फूल जैसी धरती को बचाने में
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,440
edits