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"पहल / रेखा चमोली" के अवतरणों में अंतर
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लड़ो आवाज़ उठाओ
ना- ना
चुप रहना समर्थन भी
समझा जा सकता है
बोलते क्यों नहीं ?
डरो मत
वो जिनके चेहरों पर सीलन जमी है
धुआँ बसा है आँखों में
इन्तज़ार में हैं
पहल के
वो सब भी धीरे धीरे
आएँगे तुम्हारे साथ
तुम्हें थामने को होंगी
कई कई बाहें
तुम्हारी आवाज़ बढ़ जाएगी
कई गुना
और तुम जीत लोगे
ज़िन्दगी की हारी हुई बाजियाँ ।