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खिली गुलाब की दुनिया तो है सभी के लिये / गुलाब खंडेलवाल
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19:54, 24 जून 2011
तड़पने आये हैं दुनिया में दो घड़ी के लिए
अदाएं तेरी जो, ऐ ज़िन्दगी!
संभाल
सँभाल
सके
कलेजा चाहिए पत्थर का आदमी के लिए
ये हमने माना कि जीवन है एक अँधेरी रात
कभी तो वे भी चले आयें
रौशनी
रोशनी
के लिये
करेगा कौन उन्हें प्यार अब हमारी तरह!
Vibhajhalani
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